तिथियों के घट बढ़ के कारण इस बार दशहरे का पर्व दो दिन मनाया जा रहा है| जहाँ शहर में कई स्थानों पर रविवार को रावण दहन किया गया तो वही आज परदेशीपुरा स्थित रावण मंदिर में दशहरे के मौके पर रावण की महापूजा कर विशेष यज्ञ भी किया गया| मंदिर का निर्माण करने वाले महेश गौहर का कहना है कि दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व माना जाता है लेकिन रावण बुरा व्यक्ति नहीं था। वह महान विद्वान और प्रकांड विद्वान था। यही वजह है कि बीते 40 वर्षों से उनका परिवार रावण की पूजा कर रहा है| रावण के मंदिर में रावण के 10 सिर के ऊपर नागदेव फन फैलाए हुए हैं। रोजाना यहां आरती होती है। पूरे विधान से रावण का पूजन किया जाता है। वही प्रतिवर्ष दशहरे के मौके पर विशेष पूजन और यज्ञ के जरिए रावण दहन करने वालों के लिए क्षमायाचना भी रावण भक्तों द्वारा मांगी जाती है।