शाजापुर। न सोना, न चांदी न आभूषण। इन सब वस्तुओं से या इनकी कीमत से उसे कोई लेना-देना नहीं। वह तो भक्त की भावना और उसके पीछे छुपी निःस्वार्थ सेवा के भूखे हैं। जिसके इन सांसारिक वस्तुओं का कोई मोल नहीं है। यह बात पं. गोविंद जाने ने समीपस्थ ग्राम पिंदोनिया पहाड़ में चल रही सात दिनी भागवत कथा के तीसरे दिन रविवार को कथा का वाचन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि लोग मंदिर तो जाते हैं लेकिन अपने साथ भाव और भावना लेकर नही जाते। कलयुग में लोग भक्ति से ज्यादा अपने स्वार्थ के पीछे भागते रहते हैं। जबकि वे ये सच्चाई भूल जाते हैं कि यह सब यही छोड़कर जाना है। आपके साथ यदि कुछ जाएगा तो वो है आपकी भक्ति और अच्छे कर्म जिनका आज मनुष्य के खाते में जीरो बैलेंस है। यदि प्रभु भक्ति को पाना है तो भक्ति को अपनाना होगा जिसका बहुत आसान रास्ता है कि उसे मत भूलो। इस दौरान पं. नागर ने संगीतमय भजनों की भी प्रस्तुति दी जिस पर श्रद्धालू झूमने को मजबूर हो गए। आयोजनकर्ता देवनारायण मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि आयोजन के तहत 17 फरवरी को रात में कवि सम्मेलन का अयोजन होगा और अगले दिन कथा का समापन होगा।