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वीडियो जानकारी: 8.11.2019, पार से उपहार शिविर , अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
~ श्रद्धा के कितने प्रकार होते हैं?
~ हम अपनी श्रद्धा के रूप को कैसे समझें?
~ अपनी श्रद्धा का विकास कैसे करें?
~ आस्था और श्रद्धा क्या एक ही बात है?
~ वास्तविक श्रद्धा क्या इन्हीं तीन श्रद्धाओं में से कोई एक है?
सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत ।
श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छूद्धः स एव सः ॥
हे भारत ! सभी मनुष्यों की श्रद्धा उनके अन्तःकरण के अनुरूप होती है। यह पुरुष श्रद्धामय है, इसलिए जो पुरुष जैसी श्रद्धावाला है, वह स्वयं भी वही है।।
~ श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 17, श्लोक 3)
संगीत: मिलिंद दाते
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