पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड से आए किसानों पर हुआ लाठीचार्ज, शबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर आए
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केरल में महिलाओं का व्यापक विरोध और लखनऊ में विवेक तिवारी की पुलिसकर्मी द्वारा हत्या जैसे
विषयों पर आधारित रही इस हफ्ते की न्यूज़लॉन्ड्री चर्चा.
स्वतंत्र पत्रकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी में अस्थायी शिक्षिकास्वाति अर्जुन इस हफ्ते चर्चा की मेहमान पत्रकार रहीं. न्यूज़लॉन्ड्री के
असिस्टेंट एडिटर राहुल कोटियाल, प्रतीक गोयल पैनल में शामिल रहे. इसके अलावा अमित भारद्वाज फोन पर चर्चा में जुड़े.
चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
शबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की आयुसीमा पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला और उस पर केरल में मचे संग्राम पर विस्तृत
चर्चा हुई.चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल चौरसिया ने कहा, “या तो आप आस्तिक हो सकते हैं या फिर नास्तिक. आस्था में
तर्क के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता है.”
अतुल ने आगे जोड़ा, “आप यज्ञ में आहुति देते हैं तो उसके लिए तीन उंगलियों से आहुति देने का प्रावधान है. तर्क यह कहता है
कि पूरे हाथ से उठाकर आहुति आग में डाल दीजिए. सिर्फ तीन उंगलियों से क्यों? बाकी दो उंगलियों से भेदभाव क्यों? लेकिन
आस्था में यह तर्क काम नहीं करता. इस लिहाज से शबरीमाला मामले में असहमति का आदेश देने वाली जज इंदु मल्होत्रा
काफी हद तक सही हैं.”
राहुल कोटियाल ने इससे असहमति जताते हुए कहा, “धर्म में सुधार का विचार भी समय के साथ-साथ चलता रहता है. हमारे
यहां समय-समय पर इसके तमाम उदाहरण हैं. सती प्रथा एक समय में समाज में पूरी तरह से स्वीकार्य थी. लेकिन राजा
राममोहन राय ने अंग्रेजों के साथ मिलकर इसका प्रतिरोध किया और अंतत: यह कुप्रथा समाज से समाप्त हो गई.”
राहुल आगे जोड़ते हैं, “इस तरह के कानून कम से कम एक मौका देते हैं जहां किसी भी तरह की आस्था के शिकार लोग कम से
कम अपने लिए न्याय की अपेक्षा कर सकते हैं. यही स्थिति तीन तलाक़ के ऊपर आए फैसले में भी हमने देखा था.”
स्वाति ने इसका एक अन्य पक्ष सामने रखा. उन्होंने कहा, “समाज की संरचना में महिलाओं की स्थिति ऐसी कर दी गई है कि वे
कोई स्वतंत्र निर्णय ले पाने की स्थिति में ही नहीं होती है.यहां ए?