इस एपिसोड में धृतराष्ट्र-संजय संवाद के जरिए बीते हफ्ते राजनीतिक गलियारों में घटे घटनाक्रम पर एक खट्टी-मीठी टिप्पणी. इसके अलावा भी बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसका जिक्र टिप्पणी के अंदाज में देखिए, मसलन #Rajyasabha में #PMModi के आंसुओं ने भावनाओं का एक ऐसा तालाब निर्मित किया जिसमें तमाम एंकर एंकराओं ने डुबकी लगाकर तमाम सांसारिक भवबाधाओं, पापों, अपकर्मों, दुष्कर्मों से मुक्ति पायी. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री के आंसूओं ने एंकर एंकराओं का पक्षपातपूर्ण चेहरा भी उजागर किया. जिनसे आप नीर-क्षीर विवेकी हंस होने की कामना करते हैं वो बगुला भगत निकले.
रायता मोदीजी ने भी कम नहीं फैलाया. पहले तो संसद भवन में रो दिए फिर किसानों के आंदोलन को #Andolanjeevi, परजीवियों की करतूत बता गए. ज्यादा रायता फैल गया तो लीपापोती की गरज से फिर बोले आंदोलन में पवित्र और अपवित्र दो हिस्से हैं. अब अगर प्रधानमंत्री ही इतना यू-टर्न मारेंगे तो उनके इशारे पर नागिन डांस को तैयार बैठे एंकर एंकराओं की क्या दशा होगी आप कल्पना कर सकते हैं.
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