इस हफ्ते कोरोना की बढ़त दर में थोड़ा गिरावट दिखी तो मौके का लाभ उठाते हुए #PMNarendraModi ने देश को संबोधित किया. बातचीत का सार संक्षेप इतना भर था कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं. लेकिन जहां-जहां चुनाव है वहां पर अप्लाई नहीं.
जी हां... बिहार के चुनाव में सार्वजनिक रैलियों की इजाजत और उनमें उमड़ रही बेरोकटोक भीड़ से तो यही लगता है कि या तो वहां कोरोना ने हथियार डाल दिया है या फिर कोरोना का चुनाव आयोग से अस्थायी युद्धविराम समझौता हो गया है.
इसके साथ ही बीते हफ्ते लंबे अंतराल के बाद छोटे परदे पर गृहमंत्री #AmitShah की वापसी हुई. बदले-बदले से अंदाज में अमित शाह का लौटना कइयों को चौंका गया. उन्होंने एक मंझे हुए नेता की तरह मीडिया के एक हिस्से द्वारा टीआरपी की हवस में की जा रही नौटंकी से अपनी नाइत्तेफाकी दर्ज करवाई. लेकिन #SudhirChaudhary बहुत देर तक शाह का बदला रूप झेल नहीं पाए. जल्द ही वो अपनी पटरी पर लौटे और शाहजी से अब्दुल्ला और मुफ्ती का नट-बोल्ट कसने की सिफारिश करने लगे. सुधीर चौधरी व्यक्ति नहीं किंवदंति हैं.
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