शरद जोशी की कलम है आज भी ज़रूरी I Hindi Ki Bindi I Damini Yadav

The Wire 2021-06-03

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हिंदी के चोटी के व्यंग्यकार शरद जोशी का नाम साहित्य में हमेशा बहुत प्रासंगिकता के साथ याद किया जाता है। इनकी ख़ासियत ये है कि इन्होंने अपनी रचनाओं में राजनीति और समाज की जिन कमियों की बरसों पहले धज्जियां उड़ाकर रख दी थीं, वे आज भी
सुनने-पढ़ने पर ऐसी लगती हैं, मानो अभी लिखी गई हैं। इनकी अनेक किताबों ने समय की सीमाओं को लांघा है, जैसेकि- जीप पर सवार इल्लियां, परिक्रमा, यथासंभव, हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे, तिलिस्म, रहा किनारे बैठ। इसके अलावा इनके लिखे टीवी धारावाहिक भी आज तक भुलाए नहीं गए हैं, जिनमें से कुछ हैं- ये जो है ज़िंदगी, विक्रम बेताल, सिंहासन बत्तीसी, वाह जनाब, प्याले में तूफान, दाने अनार के, ये दुनिया गज़ब की वगैरह। लापतागंज तो अभी हाल के दिनों में भी लोगों का प्यार पाता रहा है।

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