महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की जब भी बात होती है, सुपरवीमन का कॉन्सेप्ट साथ-साथ चलता है। यह कॉन्सेप्ट इतना खतरनाक है कि आज एक मानसिक बीमारी सुपरवीमन सिंड्रोम के साथ जुड़ गया है। आखिर कितनी महिलाएं हैं जो सुपरवूमन होने का दबाव झेल रही हैं? इस कॉन्सेप्ट ने महिलाओं का कितना नुकसान किया है? और इस शब्द का कितना गलत इस्तेमाल किया गया? जानने के लिए देखिए ’पत्रिका’ के खास शो ’आधी दुनिया, पूरी बात विद तसनीम खान’ का 24th Episode- क्या आप SuperWoman होने का दबाव झेल रही हैं?