कांधला: दंगे के 7 वर्ष बाद भी विस्थापितों को नहीं मिली मूल सुविधा

Bulletin 2020-09-08

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शामली के कांधला जनपद शामली और मुजफ्फरनगर में वर्ष 2013 मे हुई सांप्रदायिक हिंसा के सात साल बाद भी गांव लिसाढ़ के विस्थापितों को न्याय नहीं मिल पाया है। गांव लिसाढ़ में 13 लोग सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए थे। जिसमें पुलिस आज तक 11 लोगों के शव बरामद नहीं कर पाई है। कस्बे के जन्नत कालोनी में सांप्रदायिक हिंसा की सातवीं बरसी पर विस्थापित पुनर्वास संघर्ष समिति के द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान पीड़ित परिवार के लोग मौजूद रहे। समिति के सदस्य रिजवान सैफी ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ित विस्थापित जनपद की लगभग 25 कालोनियों में अपने मकान बना कर रह रहे है। विस्थापित परिवारों की कालोनियों को आज तक मुख्य धारा से नहीं जोड़ा गया है। विस्थापित लोगों को कालोनियों में बिजली व्यवस्था, शौचालयों का निर्माण, पानी और शिक्षा की व्यवस्था पूर्ण रूप से नहीं मिल पा रहीं है। विस्थापित परिवारों के हजारों लोग सरकार के द्वारा चलाई जा रहीं योजनाओं से भी वंचित है। कस्बे के जन्नत कालोनी निवासी अब्दुल बासिद ने कहा कि दंगे के दौरान गांव के 13 लोगों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस 13 लोगों में से मात्र दो लोगों के शव हीं बरामद कर पाई थी, जबकि 11 लोगों के शवों का आज तक पता हीं नहीं चल सका। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक दंगे के दौरान मारे गए लापता 11 लोगों के परिवारों की सरकार के द्वारा कोई मदद नहीं की गई। समिति के सदस्यों और विस्थापित परिवार के लोगों ने सरकार से मांग की है, कि उनके परिवारों को मुख्य धारा से जोड़कर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए। इस दौरान मोनू, समीर, राहुल, यासमीन, मोमीन, भूरा सहित आदि लोग मौजूद रहे।

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