अम्बेडकर नगर ग्राम प्रधानों का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने को है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की कवायद भी शुरू हो गई है। पंचायतों में विकास के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए गए, लेकिन हर घर तक विकास की किरण नहीं पहुंच सकी। बात अकबरपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायत पीरपुर की करें तो यहां विकास हुआ ही नहीं, लेकिन कई मजरों को आज भी विकास का इंतजार है। ग्राम पंचायत पीरपुर के ग्रामीण प्रधान की कार्यशैली से खुश नहीं हैं तो कुछ का आरोप है कि प्रधान ने मजरों में विकास कार्य के दौरान पक्षपात किया है। अपने चहेतों के तो काम कराए हैं, लेकिन आम जनता की ओर ध्यान नहीं दिया है। प्रधान से असंतुष्ट ग्रामीणों को अब चुनाव का इंतजार है। ग्राम पंचायतों में विकास कार्यो के लिए आने वाला पैसा ग्राम सचिवों और प्रधानों की सांठगांठ के चलते बंदरबाट किया जा रहा है। विगत वर्षो के दौरान तहसील क्षेत्र के पीरपुर गांव में करोड़ों रुपये की निधि आने के बाद धरातल पर विकास कार्य नजर नहीं आ रहा है।केंद्र और राज्य सरकार जहां ग्राम पंचायतों में विकास के चार चांद लगाकर ग्राम पंचायतों का शहरों की तर्ज पर विकास कराने की योजनाएं बनाई रही है। वहीं, सरकार की योजनाओं को ग्राम प्रधान और सचिव की मिलीभगत के चलते पलीता लगाया जा रहा है। ग्रामीणों द्वारा दी गई जानकारी में पर्दाफाश हुआ कि आरसीसी निर्माण, विद्युतीकरण, प्रकाश व्यवस्था, बैंच खरीद, मिट्टी भराव समेत कई मामलों मे घोटाला किया गया। यह पूरे खेल एक गांव में नहीं कई गांवों में हुआ है। शौचालयों का निर्माण अपने चहेतों के यहां हुआ। आवास निर्माण में ग्रामीण धांधली का आरोप लगा रहे हैं।