कोरोना के संदर्भ में इंदौर के कलेक्टर कार्यालय में आयोजित जिला स्तरीय बैठक में शिरकत करने के बाद जब सीएम का काफिला रेसीडेंसी की ओर बढ़ा तो कलेक्टर कार्यालय के बाहर मौजूद स्टाफ नर्सों के दल ने सीएम से मुलाकात की कोशिश की। जिस पर सीएम ने खुद कार्केट रुकवा कर उनकी समस्या सुनी। दरअसल जिला अस्पताल में बीते 3 महीनों से सेवाएं दे रही हाल ही में पोस्टेड स्टाफ नर्सों ने सीएम को कम सैलरी मिलने की शिकायत करते हुए ज्ञापन दिया और प्रोविजन पीरियड में भी पूरी सैलरी दिलवाए जाने की मांग की। नर्सों का कहना है कि पूर्व में शिवराज सरकार में प्रदेश में प्रोविजन पीरियड में भी तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पूरा वेतन मिलता था, लेकिन पिछली सरकार ने जो आदेश पारित किया था, अब उसके मुताबिक स्टाफ नर्सों को पहले साल में 60 फ़ीसदी, दूसरे साल में 70 फ़ीसदी, तीसरे साल में 80 फ़ीसदी और चौथे साल में पूरा वेतन देने के आदेश दिए गए हैं। नर्सों का कहना है कि कोरोना जैसी महामारी में भी वे अपनी सेवाएं दे रही है, जबकि उन्हें जॉइनिंग के बारे में जानकारी दिए बिना ही बुला लिया गया था और अब विषम परिस्थितियों में भी यह स्टाफ नर्स बीते 3 माह से अपनी सेवाएं दे रही है। हालांकि स्टाफ नर्सों की समस्या सुनने के बाद सीएम शिवराज ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी समस्या पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और जल्द ही उसे दूर भी किया जाएगा।