बिलगर्म माहे रमज़ान की 19वीं (13 मई बुधवार)से 21वीं (15 मई शुक्रवार) तक हज़रत अली की शहादत पर ग़म मनाने का सभी मातमी कार्यक्रम इस बार घर तक ही सीमित रहेगा। ताबूत सजेगा पर सड़कों में जुलूस नही निकाला जायेगा। अन्जुमन आजाए हुसैन ने प्रेस के माध्यम से बताया की कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण प्रशासन के दिशानिर्देशों का शतप्रतिशत पालन करते हुए जहां माहे रमज़ान की इबादतों और बाजमात नमाज़ नहीं हो रही है। वहीं किसी प्रकार के धार्मिक आयोजन जहाँ शोशल डिस्टेन्स का खयाल रखना महत्वपूर्ण और विश्वव्यापी महामारी से लोगों को बचाना अहम है ऐसे में तमाम ओलमाओं ने पहले ही ताकीद कर दी है की हम न तो सामूहिक नमाज़ अदा करेंगे बल्कि घरों में रहकर ही इबादत करेंगे। इसी तरहा दामादे रसूल हज़रत अली की शहादत के मौक़े पर पूर्व वर्षों में होने वाली मजलिस मातमी जुलूस नहीं निकाले जाएंगे। अन्जुमन ने बताया की मस्जिद बगले वाली से हज़रत अली की शहादत पर जो ताबूत निकलता था वो इस बार नही उठा मस्जिद में ही ज़ियारत करा दी गई ताबूत की मजलिस इस साल नहीं होगी।अन्जुमन ने शासन के दिशानिर्देशों का पूर्णत्या पालन करते हुए सभी से अपील की है की वह अपने अपने घरों में रह कर काले लिबास धारण कर शोक मनाएँ। घरों से या अली मौला हैदर मौला की सदा बुलन्द करें। मौलाए कायनात अमीरुल मोमेनीन की शहादत का पुरसा दें और बारगाहे इलाही से दुआ करें की इस महामारी और नागहानी वबा से हम सब को महफूज़ रखे ।और हमारा मुल्क व दुनिया को इस वबा से निजात मिले।