गोंडा- घर से मेहनत मजदूरी करने के लिए गैर प्रांतों में गए लोगों के सब्र का बांध अब टूट चुका है। अब हुए हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचने के लिए बेताब हैं। तीसरे फेज का लॉक् डाउन लगने के बाद मजदूरों के सामने रोजी का संकट तो पहले ही खड़ा हो गया था। अब रोटी के भी लाले पड़ गए हैं। ऐसे में अपने घर पहुंचने के सिवाय उनको और कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। मंगलवार को 1000 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय कर पंजाब प्रांत के जालंधर से 18 मजदूर गोंडा पहुंचे। मूलत: बिहार प्रदेश के साहंसा जनपद निवासी विशाल ने बताया कि वह गत 29 अप्रैल को जब उन लोगों के पास खाने पीने के लिए कुछ नहीं रह गया पैसा भी खत्म हो गया तो उन लोगों ने पैदल घर पहुंचने का निर्णय किया। उसके बाद जालंधर से सुबह निकल पड़े रेल की पटरियों को पकड़ कर सातवें दिन गोंडा पहुंचने पर लोगों ने बताया कि रास्ते में उन्हें किसी ने रोका टोका नहीं और ना ही उनकी कहीं जांच हुई। मजदूरों ने बताया रास्ते में उन्हें कहीं भोजन भी नहीं मिला। थोड़ा बहुत पैसा रखे थे उसी से बिस्किट नमकीन खरीद कर पानी पीकर चलते रहे। वही विपिन ठाकुर ने बताया कि हम लोग लगातार 7 दिनों से पैदल चल रहे हैं रास्ते में किसी भी जनपद में प्रशासन द्वारा हमें कोई सुविधा नहीं दी गई। लोग भूखे प्यासे पैदल चलते रहे। यहां पहुंचने पर हमें कुछ उम्मीद बंधी है। कि हम लोगों की खाने पीने की कुछ ना कुछ व्यवस्था जरूर होगी।