मँदसौर में एक 45 वर्षीय महिला है जो फोरलेन हाइवे पर पिछले 25 सालों से ट्रकों के पंचर बनाती है । पिता से काम सीखा था , पति की मौत के बाद इसी काम से अपनी तीन बेटियों को पाला । मध्यप्रदेश के मंदसौर में नयाखेड़ा बाईपास स्थित फोरलेन हाईवे पर एक 45 वर्षीय महिला मैना सोलंकी जो पिछले 25 वर्षों से ट्रकों के पंचर बनाती आ रही है । मैना के संघर्ष की कहानी बताती है कि यदि जीने का हौसला हो तो परिस्थितियां कभी भी हावी नहीं हो सकती ! मैना के पिता प्रेमचंद टायर पंचर बनाने का काम ही करते थे, मैना जब छोटी थी तब अपने पिता का हाथ बताती थी वह भी पंचर की दुकान पर छोटे-मोटे काम में मदद कर देती थी ! मैंने जब थोड़ी बड़ी हुई तो उसके पिता ने उसकी शादी मुंशी नामक व्यक्ति से कर दी जो छोटी मोटी मजदूरी करता था ! मैंना को तीन बेटियां हुई ! कुछ समय बाद मैना के पिता प्रेमचंद की मौत हो गई मैना के पिता शादी के बाद भी उसकी काफी मदद किया करते थे ! पिता की मौत के बाद मैना को मिलने वाला पिता आर्थिक सहयोग भी बंद हो गया ! पिता की मौत के सदमे से मैना अभी उभरी भी नहीं थी 1 साल बाद ही उसके पति मुंशी की भी मौत हो गई मैंना अपने तीन बच्चों के साथ अपनी मां के घर आ गई ! आर्थिक तंगी के चलते हैं मैना की मां भी मैना और उसके तीन बच्चियों का भरण पोषण करने में सक्षम नहीं थी, जिसकी वजह से मैना और उसकी मां में आए दिन कहासुनी होती रहती थी।