वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, 13.11.18, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
प्रसंग:
कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति ना होये।
भक्ति करै कोई सूरमा, जाति वरन कुल खोये।।
अर्थ: कामी, क्रोधी और लोभी से भक्ति नहीं संभव है। कोई सूरमा ही वीर होगा जो जाति ,कुल और वर्ण के घमंड को त्यागकर प्रभु की भक्ति कर सकता है।
~ गुरु कबीर
~ कौन भक्ति कर सकता है?
~ हमेशा होश में कैसे रहें?
~ हम बार-बार बेहोशी में क्यों चले जाते हैं?
संगीत: मिलिंद दाते