तीन तलाक की शिकार रूकैया खातून अब अबला से सबला बन गई है। बेबसी लाचारी जैसे लफ्जों की जंजीरों को तोड़कर वो इंसाफ मांगने निकल पड़ी है। उसे शरीयत का एहतराम भी है और अल्लाह और अदालत पर भरोसा भी। गोद में डेढ़ साल की मासूम को लिये रूकैया तपती दोपहर में इंसाफ की जंग लड़ने के लिए निकल पड़ी है।
सोमवार को अदालत में पति की ओर से तलाक दिये जाने के बाद जाने के दर्दनाक वाक्ये के बाद वो सारी रात सो नही सकी। इसके बाद भी मंगलवार को दोपहर तपती धूप में अदालत की चौखट पर पहुंच गई। उसने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम औरतों के जिन्दगी के लिए तबाही का सबब बन गया है। इसे नहीं रोका गया तो आने वाले वक्त में गजब के हालात होगें।
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