इंजीनियरिंग जॉब छोड़ पर्यावरण संरक्षण की पकड़ी राह, पथरीली जमीन की बदली तस्वीर

ETVBHARAT 2025-09-25

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राजस्थान के अलवर में सूखी और बंजर जमीन को हराभरा करने का काम यूपी के मेरठ के प्रदीप कर रहे हैं. इन्होंने 2010 में दिल्ली की कंपनी में इंजीनियरिंग की जॉब छोड़ी और अलवर के धीरोड़ा गांव का रुख किया. यहां इन्होंने पौधे लगाने शुरू किया. इस तपती रेत में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. सबसे पहले उन्होंने पंचवटी के पांच पौधे लगाए, बरगद, पीपल, बेलपत्र, आंवला और सीताशोक. इन पौधों के पीछे धार्मिक और स्वास्थ्य से जुड़े कारण थे. धीरोड़ा गांव की बंजर जमीन पर प्रदीप ने पहले साल 200 पौधे लगाए. इसके बाद हर साल पौधों की संख्या बढ़ती गई. आज तक वे करीब पांच हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं. इनमें से सैकड़ों पौधे अब 20 से 25 फीट ऊंचे पेड़ बन चुके हैं. एक किलोमीटर की परिधि में फैली यह हरियाली अब पूरे इलाके के स्वरूप को बदल चुकी है.धीरोड़ा में पौधारोपण का असर सिर्फ हरियाली तक सीमित नहीं रहा. यहां का तापमान आसपास की तुलना में कम हो गया और भू जलस्तर भी बढ़ा. प्रदीप ने धीरोड़ा गांव में हर्बल नर्सरी स्थापित की, जहां इस समय लगभग 300 प्रजातियों के पौधे हैं. प्रदीप का सपना सरिस्का टाइगर रिजर्व में पाई जाने वाली सभी वनस्पतियों को एक ही जगह पर लगाना है.

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