swm news...जिले के किसानों की आंवला प्रोसेसिंग की मांग, ध्यान दे रही हमारी सरकार

Patrika 2025-02-04

Views 37

सवाईमाधोपुर. राज्य सरकार ने भले ही पिछले साल बजट में अमरूदों के साथ आंवला प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की घोषणा कर दी हो मगर ये घोषणाएं वर्तमान में केवल कागजों में ही घूम रही है। एक साल बीतने के बाद भी अब तक प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की कोई तैयारी नहीं है। इससे आंवले की बागवानी कर रहे किसानों की परेशानियां बढ़ रही है।
जिले में अब आयुर्वेद के प्रति लोगों के बढ़ते रूझान के चलते आंवले की बागवानी का दायरा भी बढऩे लगा है। करीब डेढ़ दशक पहले केवल सौ से सवा सौ किसान ही आंवले की बागवानी करते थे लेकिन अब धीरे-धीरे किसानों का आंवला की ओर रूख बढ़ा है।
आंवले से बने उत्पाद की बाजार में है मांग
आंवले का व्यवसायिक दृष्टि से अब महत्व बढ़ता जा रहा है। कोरोना काल में इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में विटामीन सी से भरपूर आंवले से बने उत्पाद च्वयनप्राश, चटनी, मुरब्बा, जैम, ज्यूस आदि की मांग बाजार में बढ़ी थी। ऐसे में क्षेत्र के किसान अब अमरूदों के साथ आंवले की बागनवानी भी करने लगे है। आयुर्वेद व यूनानी पद्धति से निर्मित औषधियों में आंवले का उपयोग होता है।
गुणकारी होने से बढ़ रही आंवले की डिमांड
आंवला एक ऐसा फल है जो सौ मर्ज की एक दवा है। आंवला कोई सामान्य फल नहीं बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर एक औषधीय फल है। आंवला विटामिन सी का प्रमुख स्रोत है। इसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, विटामिन-ए, विटामिन ई पाया जाता है। आंवला एक ऐसा औषधीय गुण वाला फल है, जिसकी मांग आयुर्वेद में हमेशा से रही है। इसके सर्वोत्तम गुणकारी होने के कारण इसकी मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर
कोरोना महामारी के कारण भले ही विश्वभर में उद्योग व व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गए थे लेकिन इम्यूनिटी बढ़ाने में आंवला कारगर साबित हुआ था। यही कारण है कि किसान आंवला की उपज ले रहे हैं। खास बात यह है कि अब मांग बढऩे के साथ ही किसानों को दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। जानकारों की मानें तो एक बीघा आंवले के बगीचे का करीब 50 हजार रुपए मिल रहे है। जिले में 425 हैक्टेयर में आंवले के बगीचे लगे है।
अमरूदों में कीट-रोगों के चलते बढ़ा आंवले में रूझान
उद्यानिकी विभाग के अनुसार जिले में वैसे तो अमरूदों की बागवानी ही सर्वाधिक है लेकिन पिछले कुछ सालों से अमरूदों के पेड़ों में निमिटोड, जडग़लन, उकठा व मौसम बीमारियों के चलते रोग व कीटों से किसानों को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा आंवले में खर्चा कम व प्रबंधन की कमी भी होती है, मवेशी भी आंवले को नुकसान नहीं पहुंचाते है। ऐसे में अब धीरे-धीरे फिर से किसान आंवले की बागवानी कर रहे है।
जिले में यहां लगे है आंवले के बगीचे
जिले में इस वर्ष पचीपल्या, श्यामपुरा, बसोव, एण्डा, निवाड़ी, भूरी पहाड़ी, मथुरापुर, खण्डार सेवती कला, करमोदा, सूरवाल, खिलचीपुर सहित कई गांवों में आंवले की नए बगीचे लगे है, जबकि इनमें से कई गांवों में पहले से भी आंवले के बगीचे लगे है।
फैक्ट फाइल...
-जिले में वर्तमान में इतने हैक्टेयर में लगे है आंवले के बगीचे-425 हैक्टेयर
-एक पौधे में इतने किलो आवंले आते है-125 किलो
-डेढ़ दशक पहले इतने हैक्टेयर में लगे थे आंवले के बगीचे-125 हैक्टेयर
-वर्तमान में आंवले के बगीचे का दायरा कितना बढ़ा है-300 हैक्टेयर
........................
इनका कहना है...
सरकार प्रसंस्करण इकाई को पीपीपी मोड पर संचालित करना चाह रही है। प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने को लेकर फिलहाल कोई इन्वेस्ट करने के लिए फर्म नहीं मिल रही है। इसके लिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
हेमराज मीणा, उपनिदेशक, उद्यान विभाग सवाईमाधोपुर

एक्सपर्ट व्यू...
जिले में किसानों का आंवला की खेती में रूझान बढ़ रहा है और उत्पादन भी खूब हो रहा है। सरकार ने पूर्व के बजट अमरूदों के साथ आंवला प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की घोषणाएं की थी। मगर आंवला प्रसंस्करण इकाई स्थापित नहीं होने से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है और ना ही वाजिब दाम मिल रहे है। राज्य सरकार को जल्द ही जिले में आंवला प्रोसेसिंग इकाई स्थापित करनी चाहिए, ताकि किसानों को लाभ मिले। संगठन की ओर से इसके लिए राज्य सरकार व जिला कलक्टर से लगातार मांग उठाई जा रही है।
लटूर सिंह गुर्जर, प्रांत मंत्री, किसान संघ सवाईमाधोपुर


सवाईमाधोपुर. दौलतपुरा गांव में पेड़ में आ रहे आंवले।

Share This Video


Download

  
Report form
RELATED VIDEOS