swm: जिले की मिट््टी बीमार, 70 प्रतिशत तक पोषक तत्वों की कमी

Patrika 2024-12-06

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सवाईमाधोपुर. कहने को तो आज विश्व मृदा दिवस है, मगर मृदा परीक्षा प्रयोगशाला में जिले से लिए गए नमूनों की जांच के दौरान मिट््टी की खराब गुणवत्ता इसकी हकीकत बयां कर रही है। मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए किसान अंधाधुंध रासायनिक खाद का प्रयोग कर रहे हैं। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति नष्ट होती जा रही है। इसका असर पैदावार पर पड़ रहा है।
जिले की मिट््टी में सर्वाधिक 70 प्रतिशत तक ऑर्गेनिक कार्बन की कमी पाई गई है। इसके अलावा 65 फीसदी तक जिंक तत्व की कमी मिली है। जिले में फसलों की बुवाई के दौरान किसानों की ओर से अंधाधुंध पैदावार लेने और रासायनिक खादों के कारण सोना उगलने वाली मिट््टी अब बंजर होती जा रही है। इससे लगातार पोषक तत्वों की कमी आ रही है।
रासायनिक खादों से नष्ट हो रही भूमि की उर्वरा शक्ति
मृदा प्रयोगशाला में एक जनवरी से चार दिसम्बर तक कुल 14 हजार नमूनों के लक्ष्य मिले है। इसमें 12 हजार मृदा नमूने एकत्रित कर 10 हजार 500 नमूनों की जांच हो चुकी है। इन नमूनों ने सवाईमाधोपुर की मिट््टी की खराब गुणवत्ता की हकीकत बयां की है। इसके तहत 70 प्रतिशत मृदाओं में ऑर्गेनिक कार्बन, 50 से 55 प्रतिशत मृदाओं में फास्फोरस, 60 से 65 प्रतिशत मृदाओं में जिंक तत्व की कमी मिली है। वहीं मिट््टी में यूरिया और डीएपी की वजह से नाइट्रोजन, फास्फोरस और पाटेशियम पोषक तत्व में इजाफा हुआ है। इसमें जैविक-जीवाणु नष्ट होने से भूमि में पैदा होने वाली फसल प्रभावित होने लगी है।
जांच में मिली पोषक तत्वों की कमी
सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय में संचालित मृदा परीक्षण प्रयोगशाला केन्द्र पर खरीफ फसल के लिए 6 हजार मृदा नमूने एवं रबी में 8 हजार मृदा नमूने लेने का लक्ष्य रखा गया था। ऐसे में खरीफ व रबी सीजन में कुल 14 हजार मिट््टी के नमूने लेने का लक्ष्य रखा गया था। इनमें 12 हजार मृदा नमूने एकत्रित कर 10 हजार 500 नमूनों की जांच की जा चुकी है। इस दौरान सभी जगहों की मिट्टी में कुछ ना कुछ पोषक तत्वों की कमी पाई गई है।
गोबर का खाद अधिक कारगर
किसानों को अधिक से अधिक गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए, ताकि मिट््टी का उपजाऊपन बना रहे। रासायनिक खादों की तुलना में गोबर खाद फसलों में अधिक कारगर साबित होती है।

इनका कहना है...
ऑर्गेनिक कार्बन की कमी वाली मृदाओं में वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद, हरी खाद, खली की खाद आदि का प्रयोग करना चाहिए। फास्फोरस की पूर्ति के लिए माईकोराइजा, फास्फोरस रिच आर्गेनिक मेन्यूर तथा पीएसबी कल्चर का प्रयोग व जिंक की कमी वाली मृदाओं में जिंक सल्फेट का प्रयोग कर करना चाहिए।
किशनलाल गुर्जर, कृषि अनुसंधान अधिकारी रसायन, मृदा प्रयोगशाला सवाईमाधोपुर

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