वीडियो जानकारी: 17.09.24, संत सरिता, ग्रेटर नोएडा
माला तिलक पहरि मन माना, लोगनि राम खिलौना जाना || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2024)
विवरण:
अहंकार अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कहानियों की रचना करता है। जैसे मछली को अपने जगत के अनुकूलता की जरूरत होती है, वैसे ही अहंकार भी अपने अनुकूल जगत चाहता है। वास्तविकता को बदलने के बजाय, अहंकार अपनी कहानियों को बदलकर खुद को सही ठहराने की कोशिश करता है।
धर्म, परंपराएं और समाज द्वारा रचित कहानियां अक्सर अहंकार को स्थिर रखने का साधन बनती हैं। वास्तविक धर्म का उद्देश्य अहंकार को मिटाना है, जबकि लोक धर्म अहंकार को सुरक्षित रखता है। सत्य को स्वीकार करने और कहानियों से बाहर निकलने की प्रक्रिया ही सच्ची मुक्ति का मार्ग है। कहानियों के केंद्र पर ध्यान देना आवश्यक है, क्योंकि वही जीवन को दिशा देता है।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06
संगीत: मिलिंद दाते
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