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वीडियो जानकारी: 17.01.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने राम और भक्ति के अर्थ पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि राम का अर्थ केवल एक नाम नहीं है, बल्कि यह एक गहरी समझ और अनुभव का प्रतीक है। आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि भक्ति केवल बाहरी क्रियाकलापों और रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आंतरिक ज्ञान और प्रेम से शुरू होती है।
प्रश्न कर्ता ने अपने जीवन में भक्ति और संघर्ष के अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए आचार्य जी की शिक्षाओं का सहारा लिया। आचार्य जी ने बताया कि अंधकार को मिटाने के लिए हमें अपने भीतर की चेतना को पहचानना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि भक्ति का वास्तविक अर्थ तब समझ में आता है जब हम अपने भीतर के अंधकार को पहचानते हैं और उसे मिटाने का प्रयास करते हैं। आचार्य जी ने यह भी बताया कि ज्ञान और प्रेम का तत्व जब भीतर होता है, तो वह बाहरी दुनिया में विद्रोह के रूप में प्रकट होता है।
प्रसंग:
"जो मैं बौरा तो राम तोरा
लोग मरम का जाने मोरा।
मैं बौरी मेरे राम भरतार
ता कारण रचि करो स्यंगार।
माला तिलक पहरि मन माना
लोगनि राम खिलौना जाना।
थोड़ी भगति बहुत अहंकारा
ऐसे भगता मिलै अपारा।
लोग कहें कबीर बौराना
कबीर का मरम राम जाना।"
~ कबीर साहब
"दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम"
~ कबीर साहब
संगीत: मिलिंद दाते
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