वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 16.7.14, अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा, भारत
प्रसंग:
पौढ़ी (जपुजी साहिब) :
सेई तुधुनो गावहि जो तुधु भावनि रते तेरे भगत रसाले ॥
अर्थ: जो तुझे भाते हैं वही तुझे गाते हैं| तेरे भक्त तेरे रस में डूबे रहते हैं |
~ "सीधे चल कर भी वहीं पहुँचोगे, और ठोकरें खा-खा कर भी" इस संदर्भ में गुरु नानक हमें क्या सीखा रहें है?
जो तुझे भाते हैं वही तुझे गाते हैं का क्या अर्थ है?
~ मन को सीधे चलना क्यों नहीं भाता है?
~ "तेरे भक्त तेरे रस में डूबे रहते हैं" यहाँ रस कहने से क्या आशय है?
~ गुरु नानकदेव जी के 550वें प्रकाश पर्व को मनाने का सही तरीका क्या है?
~ सच्चे और झूठे गुरु की क्या पहचान है?
~ गुरु कबीर साहब और गुरु नानक साहब, गुरु की महिम्म का इतना अधिक बखान क्यों करते थे?
~ पंजाब में, व सम्पूर्ण भारत में प्रकाश पर्व किस प्रकार मनाया जाना चाहिए?
~ गुरु नानक प्रकाश पर्व के पीछे का क्या मर्म है?
~ सिख धर्म को गहराई से कैसे समझें?
~ झूठे गुरुओं से कैसे सावधान रहें?
~ गुरु का क्या महत्त्व है?
~ गुरु नानकदेव जी के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
~ हमें गुरु नानकदेव प्रकाश पर्व को कैसे मनाना चाहिए?
~ गुरुबानी को कैसे समझें?
~ गुरु की सीख को जीवन में कैसे उतारें?
~ गुरु नानक देव जी के जीवन को
~ How to celebrate Guru Nanak Jayanti?
~ What is significance of 550th anniversary of Guru Nanak Dev Ji's Gurpurab?
~ Why saints have always laid highest emphasis on leading life in association with Guru?
~ How can one understand the essence of Gurubani?
~ Who is Guru?
~ What is meant by Gurupurab, or Prakash Utsav?
संगीत: मिलिंद दाते
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