श्री आदि शंकराचार्य - जाग्रत पंचकम और अतिरिक्त श्लोक - स्तोत्र और अर्थ
प्रसाद भारद्वाज
श्री आदि शंकराचार्य के जाग्रत पंचकम और अतिरिक्त श्लोक जीवन, संबंधों और भौतिक संपत्ति की नश्वरता पर जोर देते हैं। यह प्राचीन स्तोत्र सावधानी और सतर्कता बनाए रखने का स्मरण कराता है, जो अस्तित्व की अस्थिर प्रकृति को उजागर करता है। इन शिक्षाओं को समझकर मनुष्य आसक्ति की व्यर्थता को पहचानते हैं और ज्ञान एवं आध्यात्मिक चेतना के लिए तैयार होते हैं।
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