सीतामाता का अमावस्या पर मेले में उमड़े लोग

Patrika 2024-06-07

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प्रकृति का उठाया लुत्फ
राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात से भी पहुंचे लोग
मंदिर में दर्शन के लिए लगी कतारें
प्रतापगढ़/बारावरदा. जिले के प्रमुख सीतामाता अभयारण्य स्थित सीतामाता मंदिर का चार दिवसीय मेले में गुरुवार को अमावस्या पर प्रमुख मेला भरा। यहां लोगों ने प्रकृति का लुत्फ उठाया। मंदिर में दर्शन के लिए कतारें लगी रही। यहां अभयारण्य में मेला ४ जून से शुरू हुआ है। जो शुक्रवार तक चलेगा। यहां पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी तैनात रहे। वहीं मेले में इस बार प्लास्टिक पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया गया है। सीतामाता मेले में करीब एक से डेढ़ लाख के बीच श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। सीतामाता के किए मेल में उबड़-खाबड़, पथरीला रास्ता से होते हुए सीतामाता मंदिर तक पहुंचे। वहीं गर्मी तेज गर्मी के कारण लोगों की तबीयत भी खराब हुई। दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रही। घंटों तक कड़ी तपती धूप में खड़े होने के बाद लोगों ने सीतामाता मंदिर में दर्शन किए। दर्शन के लिए उज्जैन, इंदौर, महू, झाबुआ, मंदसौर, जावरा, रतलाम, नामली, सैलाना, पिपलोदा, सीतामऊ, नीमच, जावद, भोपाल तक के लोग मध्य प्रदेश के लोग मेले में आए। वहीं राजस्थान में उदयपुर, राजसमंद, भीलवाड़ा, बड़ी सादड़ी, निंबाहेड़ा, चित्तौड़, बेगूं, कपासन, मेवाड़ के कई क्षेत्र के लोग काफी संख्या में पहुंचे।
प्रकृति का उठाया लुत्फ
भीषण गर्मी में भी यहां लोग दूर-दूर से पहुंचे। यहां प्राकृतिक छटाओं का आनन्द लिया।
प्रशासन अलर्ट पर, खाने के कई सामानों पर इस बार रोक
इस वर्ष अधिक गर्मी को देखते हुए कई सामग्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसमें तरबूज, खरबूजा, कुल्फी, पेप्सी आदि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके साथ ही यहां जगह-जगह पर चिकित्सा विभाग क ी ओर से क ैंप लगाए गए है। मेलार्थियों को सार्वजनिक स्थान पर जलस्त्रोत के पास गंदगी नहीं करने, सस्ते दामों पर बेचने वाली खाद्य सामग्री नहीं लेने के लिए सावचेत किया जा रहा है। इसके साथ ही मेले में प्लास्टिक पूर्ण तरीके से बंद है।

वाहनों और पैदल पहुंचे लोग
धरियावद. मेले में लोगों ने दुर्गम रास्तों एवं पैदल दूरी तय की और सीतामाता मंदिर पर पहुंचे। जहां मंदिर में दर्शन कि ए। गरम एवं ठंडे पानी के कुंड में डूबकी लगाई। मनिहारी, खानपान, सौंदर्य प्रसाधान की वस्तुओं क ी खरीदारी की। मेलार्थियों की सुरक्षा एवं व्यवस्थाओं के लिए विभिन्न विभाग की टीमें तैनात रही।
कई स्थानों पर हंै छोटे मंदिर और ओटले
यहां अभयारण्य में सीतामाता मंदिर के अलावा लव कुश जन्मभूमि, ठंडे और गर्म जल के कुंड भी है। जंगल व प्राकृतिक छटा से अद्भुत तथा भिन्न प्रकार के पेड़ और वनस्पतियां पाई जाती है। यहां ऊंची पहाडिय़ों से होकर रास्ता है, जो सीतामाता मंदिर तक पहुंचता है।

अधिकारियों ने किया निरीक्षण
मंदिर में सुबह बजे से दोपहर 4 बजे तक लगातार लंबी-लंबी कतारें रही। साथ ही एसपी लक्ष्मण दास ने मेले का रात्रि में जायजा लिया। उनके साथ डीवाईएसपी भी मौजूद थे। देवगढ़ थाना अधिकारी मय टीम के मौजूद रहे। मेले में आने वाले जेब कतरों से भी सावधानी बरतने के लिए निर्देश दिए गए। मौके पर ग्राम पंचायत पाल द्वारा पानी व भोजन की व्यवस्था की गई। साथ ही मंदिर की सीढिय़ा पर लगातार खचाखच भरी हुई रही। इस मौके पर सरपंच संगीता मीणा, ग्राम विकास अधिकारी दीपक परमार, बाबुलाल मीणा ने मेले में आने वाले यात्रियों के लिए टेंट व बिछातच की व्यवस्था भी की गई।
लापता बच्चे को पहुंचाया परिजनों के पास
यहां आपदा प्रबंधन टीम ने लावारिस बच्चे को उसके परिजनों के पास पहुंचाया। बड़ी सादड़ी मुंजवा के रास्ते से आपदा टीम ने पेट्रोलिंग करते हुए बच्चों को लिया। उसे कंट्रोल रूम पर लाकर उसके माता-पिता को पहुंचाया। जो बच्चा आमली खेड़ा देवपुरा गांव का निकाला। इस मौके पर बच्चों को सरपंच संगीता मीणा द्वारा सौंपा गया।

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