वो तुम्हें नीच कहें या नालायक, तुम सर मत झुकाना || आचार्य प्रशांत (2024)

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#acharyaprashant #guilty #youth

वीडियो जानकारी: 08.05.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ माफ़ी माँगेने का वास्तविक क्या अर्थ है?
~ क्या माफ़ी माँगने से कोई छोटा या बड़ा हो जाता है?
~ कैसे माने कि कोई माफ़ी माँग रहा है तो उसे उसका अर्थ भी समझ आ रहा है?
~ आजकल भगवान के सामने जाकर हम सिर झुका देते हैं, और कुछ भी माँगते हैं - क्या ये सही है?

धर्म का अर्थ ही है संसार के सामने कभी सिर नहीं झुकाना
संसार के आगे झुके माने? अपने ही डरों के आगे और अपनी ही कामनाओं के आगे झुक गए
जिसको संसार के आगे नहीं झुकना उसे मिटना पड़ेगा, यही सच्ची धार्मिकता होती है — मिटना
मिटना ही एकमात्र सॉरी है। जिसने ये गलती करी, उसको ही न बचने दो! — यही एक मात्र प्रायश्चित है।
गलती पर सॉरी नहीं बोलना चाहिए, अपनी हस्ती पर सॉरी बोलना चाहिए
जो धर्म आपको और बाहर की ओर खींचे, वो नास्तिकता ही है
वास्तविक धर्म वो जो आपको स्वयं में प्रवेश करा दे, आपको कहे, देखो खुद को और बताओ ऐसे ही जीना है? — ये वास्तविक धर्म होता है।

संगीत: मिलिंद दाते
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