दूसरों की गलतियाँ देख पाती हूँ, खुद की नहीं — क्या करूँ? || आचार्य प्रशांत (2024)

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वीडियो जानकारी: 15.05.24, अनौपचारिक सत्र, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ दूसरों की गलतियाँ देख पाती हूँ, खुद की नहीं — क्या करूँ?
~ जब घरवाले आगे ना बढ़ें और ना बढ़ने दें तब क्या करें?
~ अपनी बात पर अड़िग कैसे रहें?
~ समय का सदुपयोग कैसे करें?
~ क्या सच को भी सुरक्षा की ज़रूरत होती है?

~ मेरी ज़िद ~
तेरी कोशिश, चुप हो जाना,
मेरी ज़िद है, शंख बजाना...
ये जो सोये, उनकी नीदें
सीमा से भी ज़्यादा गहरी
अब तक जाग नहीं पाये वे
सर पर है आ गई दुपहरी...
~ कृष्ण वक्षी

संगीत: मिलिंद दाते
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