वीडियो जानकारी: 26.12.23, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
हमने तो बचपन से ही कहानियों वाले कृष्ण को ही जाना है। अभी भी हमें श्रीकृष्ण के नाम पर बस कहानियां ही मिलती हैं। हमें गीता जयंती से ज्यादा कृष्ण जन्माष्टमी याद रहती है। हम क्यों कुरुक्षेत्र से ज्यादा वृंदावन और मथुरा को महत्व देते हैं?
पीड़ा पसंद है या पेड़ा? उत्तर मिल गया? पीड़ा कुरक्षेत्र में मिलेगी और मथुरा में मिलते हैं? पेड़ा। कौन होता है जिसको पेड़े नहीं चाहिए पीड़ा चाहिए? लेकिन जिसको पेड़े चाहिए, उसे फिर गीता नहीं मिलेगी।
~ सत्य का पात्र कोई परंपरा नहीं है। एक मात्र परंपरा है- कृष्ण का वचन।
~ अतीत से वो ही लो, जो सत्य है। बाकी सब राख है, उसको ढोने से कुछ नहीं मिलेगा।
~ या तो सत्य को परंपरा बना लो या समाज को। परंपरा या तो परम (सत्य) की होगी, या तो परंपरा के नाम पर प्रथा चलेगी।
~ जिस दिन भारत गीता को सम्मान देना सीख जाएगा उस दिन भारत सही मायनों में राष्ट्र कहलाने लायक हो जाएगा।
संगीत: मिलिंद दाते
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