भोपाल. आज सूत्रधार में देखिए कि मप्र में आंगनबाड़ियों को गोद लेने की योजना शुरू की गई है। मकसद ये है कि जनता की मदद से आंगनबाड़ियों की हालत को दुरूस्त किया जाए। आपको जानकर हैरानी होगी कि आंगनबाड़ियों के लिए सालाना 1200 करोड़ रु. का बजट आता है। इसके बावजूद भी आंगनबाड़ियों की हालत सुधरी नहीं है। मप्र में 30 हजार आंगनबाड़ियों में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा ही नहीं है। 10 हजार आंगनबाड़ी पीने के पानी जैसी मूलभूत समस्या से जूझ रही है। प्रदेश के बच्चों को पोषित करने की जिम्मेदार इन आंगनबाड़ी केन्द्रों को ही अब ‘पोषाहार’ की जरूरत है। सरकार मार्च में इस वित्तीय वर्ष का बजट पेश करने वाली है। बजट से पहले द सूत्र ने आंगनबाड़ियों की पड़ताल की है। इसमें आंगनबाड़ियों की चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। ऐसे में सवाल उठता है कि आंगनबाड़ियों के लिए जो बजट अलॉट होता है, उसका इस्तेमाल कहां किया जा रहा है।