काशी के चौरासी घाटों को छूतीं गंगा में अभी तक नालों का ही गंदा पानी समा रहा था, अब तो उसमें काई भी जमने लगी है। शनिवार को मणिकर्णिका, सिंधिया, संकठा और गंगा महल सहित आधा दर्जन घाटों के किनारे तीन-चार दिन से जमी काई की मोटी परत से पानी हरा दिखने लगा है। गंगामहल घाट पर रहने वाले रंगकर्मी नारायण द्रविड़ कहते हैं कि गंगा में ऐसा उन्होंने पहली बार देखा है। फिलहाल, अस्पष्ट कारणों के बीच नाविकों और घाट के रहवासियों में चर्चा है कि गंगा में निर्माण के दौरान जमा हुई मिट्टी से प्रवाह रुक गया है। इससे गंगा के किनारे काफी दूर तक हरे रंंग की काई जमने लगी है, जो ठीक नहीं है।