झाँसी के बामौर में देवों के देव महादेव भगवान शिव का विवाह लोक कल्याणकारी एवं लोक मंगल कारी है। भगवान शिव के दाम्पत्य जीवन से ही मोक्षदामिनी पतित पावनी कलि मलि हारिणी राम कथा रूपी गंगा का प्रकाट्य हुआ है। भगवान शिव का विवाह एवं दाम्पत्य जीवन ही एक मात्र ऐसा विवाह एवं दाम्पत्य जीवन है, जिसमें काम की नहीं, श्रीराम की प्रधानता है। धन्य है ऐसा दाम्पत्य जीवन, जिसमें जगत जगनी माॅ पार्वती लोक कल्याण हेतु मोक्ष दामिनी राम कथा सुन रहीं है। उक्त उदगार महाशिवरात्रि पर नर्मदेश्वर मंदिर बामौर मे झाँसी से पधारी अनन्त बिभूषित स्वामी नृत्यगोपाल दास की कृपा पात्री शिष्या सुश्री राधा भक्ति भारती मानस मंजरी द्वारा शिव कथा कही गयी। शिव विवाह की कथा में उन्होंने कहा कि भगवान सती के देह त्यागने के बाद बैरागी का जीवन जी रहे थे शिव। वह विवाह नही करना चाहते थे, लेकिन उस समय तारका सुर नामक दैत्य के अत्याचार से समस्त देवता रिषि मुनि सताये जा रहे थे। तारकसुर दैत्य को वरदान था कि उसे शिव पुत्र के अलावा कोई नहीं मार सकता है,इसीलिए शिव विवाह हुआ।