देश के कोने कोने के साथ विदेशों में बुंदेलखंड की सफेदा ज्वार का डंका इस बार भी बजेगा। बाहरी मांग बढ़ने से इस वर्ष मंडी में ज्वार आते ही कीमत में भारी उफान आ गया है। शुरुआती दौर में यह 2000 से लेकर साढ़े तीन हजार प्रति क्विंटल बिक रही थी लेकिन माल मांग अधिक होने से इसकी पैदावार करने वाले किसान मालामाल हो रहे हैं। सुमेरपुर स्थित गल्ला मंडी ज्वार के लिए एशिया की सबसे बड़ी मंडी है। इस मंडी से ज्वार देश के अलावा विदेशों तक जाती है। ज्वार का उपयोग पशुओं के खिलाने के साथ कपड़े के निर्माण में भी उपयोग किया जाता है। साथ ही डबलरोटी बिस्किट आदि में भी इसके आटे का उपयोग होता है। गर्म तासीर के चलते इसको ठंडे मुल्कों में काफी पसंद किया जाता है। ठंडे मुल्कों के लोग ऊंट एवं भेंड को इसको दाने के रूप में देते हैं। बुंदेलखंड में सफेदा ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन होता है। यूपी के हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा, झांसी, ललितपुर, जालौन के अलावा मध्य प्रदेश के छतरपुर, सतना, टीकमगढ़, पन्ना आदि जनपदों में ज्वार खरीफ की फसलों में प्रमुख फसलों के रूप में बोई जाती है।
ज्वार बेचने मध्य प्रदेश आते हैं किसान
नवंबर के अंतिम पखवारे अथवा दिसंबर माह के प्रथम पखवाड़े में ज्वार की फसल तैयार होकर बाजार में आने लगती है। बुंदेलखंड में लोग इसको सर्दी के सीजन में खाने के उपयोग में लाते हैं। इस वर्ष बाजार में आते ही ज्वार के दामों में जबरदस्त उछाल आ गया है। शुरुआत से ही इसके दाम 2 हजार से लेकर साढ़े तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले से मंडी में ज्वार बेचने आए किसान नंदपाल ने बताया कि सफेदा ज्वार बाहर बहुत पसंद की जाती है। अच्छा कलर एवं बड़ा दाना होने पर इसकी बाहर की मंडियों मे अच्छी कीमत मिलती है। मध्यप्रदेश में अच्छी कीमत न मिलने के चलते मध्य प्रदेश के किसान बहुतायत में अपनी फसल को बेचने के लिए हमीरपुर आते हैं। यहां पर उन्हें ज्वार के अच्छे दाम मिल जाते हैं।
कपड़े तैयार करने में होता है उपयोग
गल्ला आढ़ती रामसेवक वर्मा ने बताया कि यहां से ज्वार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, असम आदि जगहों के साथ यमन, अफगानिस्तान, कुवैत, दुबई, सऊदी अरब आदि जगहों पर प्रतिवर्ष भेजी जाती है। अभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसको भेजने की शुरुआत हुई है। फरवरी-मार्च में इसको अन्य प्रांतों में भेजा जाएगा। इसको देश के विभिन्न हिस्सों में पशुओं के चारे के रूप में उपयोग में लाया जाता है। साथ ही सूती कपड़े को तैयार करने, डबलरोटी, ब्रेड, बिस्कुट में भी इसके आटे का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस समय बांदा, चित्रकूट, महोबा, छतरपुर, सतना, टीकमगढ़ आदि जनपदों से किसान ज्वार लेकर मंडी में आ रहा है। कानपुर एवं फतेहपुर जनपद की यमुना पट्टी के गांवों में भी ज्वार का उत्पादन बहुतायत में होता है। यहां से भी सैकड़ों क्विंटल ज्वार प्रतिदिन मंडी में आती है।