भारतीय किसान यूनियन ने चंद कार्यक्रताओं के बल पर किया कई जगह प्रदर्शन

Patrika 2020-12-10

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उत्तर प्रदेश के जनपद ललितपुर में भी चल रहे किसान आंदोलन के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त नजर आ रहा है। जगह-जगह किसान संगठनों द्वारा धरना प्रदर्शन कर आंदोलन किए जा रहे हैं एवं किसानों को प्रताड़ित करने की बात कही जा रही है। जिसको लेकर कई शिकार किसान संगठनों के साथ राजनीतिक दल भी भागीदारी निभा रहे थे । हाल ही में किसान संगठनों द्वारा एक दिवसीय भारत बंद का ऐलान किया गया था। हालांकि सरकारें लगातार कह रही है कि उन्होंने किसानों के हितों को ध्यान में रखकर कानून बनाए हैं और ठोस कदम उठाए हैं। सरकार की माने तो किसान पूर्ववर्ती सरकारों में दुखी था लेकिन भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार में सुखी है । इसके विपरीत किसान संगठन और अन्य राजनीतिक दल लगातार वर्तमान सरकार पर निशाना साध रहे हैं । केंद्र और प्रदेश की सरकार को किसान विरोधी सरकार बताकर धरना प्रदर्शन आंदोलन कर रहे हैं जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त नजर आ रहा है । हाल ही में किसान संगठनों ने एक दिन का भारत बंद का आंदोलन किया था और किसानों से आग्रह किया था कि वह उनका समर्थन करें जिससे किसान उत्पीड़न को रोका जा सके। जिसका असर जनपद ललितपुर में बिल्कुल भी दिखाई नहीं दिया । लोगों ने सुबह से बाजार खुले अपनी दुकानें खोली दूध सब्जी दवाई आदि जरूरी चीजें सहजता से बाजार में उपलब्ध भी हुई। हालांकि भारत बंद के आवाहन को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद नजर आया । जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारी घूम घूम कर स्थिति का जायजा ले रहे थे । तो वही बंद के आवाहन का समर्थनकर्ता कोई भी किसान दिखाई नहीं दिया। हां इतना जरूर है कि भारतीय किसान यूनियन के साथ छिटपुट किसान संगठन अपने चंद कार्यकर्ताओं को लेकर धरना प्रदर्शन करते नजर आए। जिसके परिपेक्ष में पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए किसान संगठन के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को बसों में भरकर खुली जेल में भिजवा। इस बंद का समर्थन केवल समाजवादी पार्टी के कुछ ही कार्यकर्ताओं ने किया। जिस कारण उन्हें भी किसान संगठनों के साथ जेल भिजवाया गया। बाजारों के आलम यह रहा कि
पर्याप्त मात्रा में दूध और सब्जी जैसे जरूरी चीजों की आवक सुचारू रही जिससे आम जनजीवन पर कोई फर्क नहीं दिखाई। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक में भी बंद का असर दिखाई नहीं दिया। एतियात के तौर पर तमाम अधिकारी और कर्मचारी चहल कदमी करते रहे। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधनों के साथ बड़ी मात्रा में पुलिस बल भी तैनात रहा। इस तरह कहा जा सकता है कि भारतीय किसान यूनियन के साथ अन्य किसान संगठनों द्वारा किए गए बंद के आवाहन पूरी तरह असफल रहा।इसके साथ ही रेल्बे स्टेशन नेहरू महाविद्यालय मवेसी बाजार हाइवे आदि कई जगहों पर प्रदर्शन कर रहे सपा और भा.कि.यू. संगठन के करीब तीन दर्जन कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि किसान संगठनों को अपनों का ही सहयोग प्राप्त नहीं हुआ और ना ही सपा को छोड़कर किसी अन्य राजनीतिक दल का भी सहयोग प्राप्त नहीं हुआ। बल्कि उल्टा किसानों ने किसान संगठनों पर आरोप लगाया कि वह अपनी राजनीति चमकाने के लिए किसानों का उपयोग कर रहे हैं। बंद में साथ देने से उनका काफी नुकसान होता है इसलिए वह किसान संगठनों के साथ नहीं है।

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