देश में हर साल नवंबर माह में राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह मनाया जाता है। इसके जरिए नवजात शिशुओं की मृत्युदर कम करने के लिए जागरुकता फैलाई जाती है। खासकर टीकाकरण को लेकर जनजागरुकता अभियान चलाए जाते हैं। इस समय राज्यभर में भी ऐसे ही जनजागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं, जिनका जिम्मा है आशा सहयोगिनियों और अन्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर। ये वे महिला कार्मिक हैं, जिनके भरोसे पूरे कोरोना काल में नवजातों और गर्भवतियों तक पोषण पहुंचाने का काम युद्ध स्तर पर किया गया। महामारी में कोई बच्चा टीकाकरण ना होने के कारण प्रभावित ना हो, इसके लिए घर—घर तक आशा सहयोगिनियों ने अपनी पहुंच बनाई और नवजातों को जीवनदान दिया है। हालांकि इसके लिए उन्हेें कई दिक्कतें झेलनी पड़ी, इसके बाद भी वे ही 'आशा' बनी रही गर्भवतियों और नवजातों के जीवन के लिए।