जयपुर। कोरोना महामारी ने इंसानों के फेफड़ों पर सीधा असर डाला है। इसका संक्रमण फेफड़ों में इतना फैल जाता है कि आॅक्सीजन क्षमता को कम या बिलकुल खत्म कर देता है। इससे संक्रमित मरीज की मौत भी हो जाती है। सिर्फ फेफड़ों का संक्रमण कोरोना के दौर में मरीजों की जान ले रहा है। ऐसे में अब पटाखों के धुंए का डर भी सताने लगा है। इसीलिए हाल ही में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर्स की टीम ने कॉलेज के प्रिंसिपल और नियंत्रक को पत्र लिखकर पटाखों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगाने की अपील की है। वहीं आमजन से भी इस दीपावली पर पटाखे नहीं जलाने की अपील भी की है। इससे कोरोना महामारी में मरीजों की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। फेफड़ों में धुंआ जाने से यह मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है। खासतौर से अस्थमा मरीजों के लिए कोरोना से बचना ही मुश्किल हो रहा है, ऐसे में वे पटाखे के धुएं की चपेट में आ गए, तब भी उनके लिए इलाज मुश्किल हो सकता है।
इसलिए दिया ज्ञापन
मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ आचार्य और विभागाध्यक्ष डॉ. एस बनर्जी ने कहा है कि राजस्थान में कोविड मरीजों की संख्या ज्यादा है। जो मरीज ठीक हो चुके हैं, उनके फेफड़े भी कमजोर हो चुके हैं। क्योंकि कोरोना श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। ऐसे में दीपावली पर पटाखों के उपयोग से प्रदूषण होगा और श्वसन तंत्र को और नुकसान पहुंचाएगा। वहीं मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. रमन शर्मा का कहना है कि पटाखों से निकलने वाले धुएं से अस्थमा, सीओपीडी के मरीज बढ़ने के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों को परेशानी होगी।
पटाखे क्यों पहुंचाते हैं नुकसान
अस्थमा, सीओपीडी या एलर्जिक रहाइनिटिस से पीड़ित मरीजों की समस्या पटाखों का धुंआ बढ़ा देता है। पटाखों में मौजूद छोटे कण सेहत पर बुरा असर डालते हैं, जिसका असर फेफड़ों पर पड़ता है। पटाखों से कार्बन डाइआक्साइड, मोनो आक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं। ये गैस इंसानों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं। फेफड़ों के प्रभावित होने का सीधा अर्थ है कि शरीर को पर्याप्त आॅक्सीजन की पूर्ति नहीं हो सकती। इस कम आॅक्सीजन से कई बार मल्टी आॅर्गन फेलियर की स्थिति भी बन जाती है।
हार्ट और ब्रेन को भी नुकसान
पटाखों के धुएं से हार्टअटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। पटाखों में मौजूद लैड सेहत के लिए खतरनाक है। इसके सांस के साथ शरीर में जाने से हार्टअटैक और ब्रेन स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। जब पटाखों से निकलने वाला धुंआ सांस के साथ शरीर में जाता है तो खून के प्रवाह में रुकावट आने लगती है। दिमाग को पर्याप्त मात्रा में खून न पहुंचने के कारण व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो सकता है।
बच्चों बुजुर्गों को बजाय
पल्मोनरी स्पेशलिस्ट का कहना है कि कोरोना से जिस तरह छोटे बच्चों, बुजुर्गों को दूर रखने के लिए सावधानी बरती जा रही है, वैसे ही पटाखों के धुएं से भी इन्हें बचाएं। अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को भी दिवाली के समय अपना खयाल रखना चाहिए। कोरोना की सावधानी की तरह ही इन दिनों में घर से बाहर ना निकलें। पटाखे आसपास जलाए जा रहे हैं तो मास्क लगाकर रखें। दिल के मरीजों को भी पटाखों से बचकर रहना चाहिए। इनके फेफड़े बहुत नाजुक होते हैं। कई बार बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति पटाखों के शोर के कारण दिल के दौरे का शिकार हो जाते हैं। खासकर अस्थमा के मरीज अपना इन्हेलर अपने साथ रखें। डॉक्टर से सलाह लेकर जरूरी दवाइयां अपने पास ही रखें।