Last Moments of Mahatma Gandhi: 30 जनवरी, 1948 का दिन अखंड भारत के लिए भारी था.... बहुत भारी... इतना भारी की उस दिन सूर्य भी नहीं निकला और घना कोहरा अपने चरम पर था.... किसे पता था सभा लगाकर कर सब को सन्मति की राह पर चलने को कहने वाला ऐसे बिन बताए निकल लेगा... सबको अकेला छोड़... पर कई लोग कहतें हैं की उसने कहा था.... उसने उस दिन तीन से चार बार कहा था की क्या पता मैं रहूं ना रहूं..
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