उज्जैन नगरी धार्मिक नगरी के साथ-साथ तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी जानी जाती है। उज्जैन के शमशान में तंत्र साधना के लिए दूर-दूर से तांत्रिक और संत महंत आते हैं। ऐसे ही गुरुग्राम से सिद्धि योग मठ के प्रमुख आचार्य बाल योगी अलखनाथ अघोरी पहुंचे। उन्हें बाबा महाकाल का आदेश प्राप्त हुआ था, जिसके बाद में बाबा महाकाल के दर्शन कर राधा अष्टमी की रात्रि को उज्जैन के गढ़कालिका क्षेत्र में बगलामुखी मंदिर पर भव्य तांत्रोक्त यज्ञ किया गया। यज्ञ शुरू करने के पहले हवन कुंड का पूजन किया गया। जिसके बाद पान के पत्तों पर सिंदूर, कंकू और नींबू रखा गया। यज्ञ रात 12:00 बजे से शुरू हुआ। जो सुबह 4:00 बजे तक चला। इस यज्ञ में अनेक प्रकार की जड़ी बूटी का उपयोग आहुति देने के लिए किया गया। मान्यता है कि उज्जैन में की गई तपस्या या साधना सफल होती है। बाल योगी अलखनाथ महाराज ने बताया कि बाबा महाकाल के आदेश पर उज्जैन में तांन्त्रोक्त यज्ञ किया गया है। इस यज्ञ में विभिन्न प्रकार की जड़ीबूटियों की आहुतियां दी गई है।