इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में आने वाले सभी दर्शकों के लिए हाथी मोती आकर्षण का केंद्र रहता है। बीते कुछ वर्षों में मोती का गुस्सा इस कदर बढ़ गया है कि दूसरों को नुकसान पहुंचाने के साथ अब मोती खुद को भी नुकसान पहुंचाने लगा है। मोती का गुस्सा कम करने के लिए ज़ू प्रबंधन अब म्यूजिक थैरेपी का सहारा ले रहा है। मोती को रोज क्लासिकल संगीत के साथ संतूर की धुन सुनाई जा रही हैं। मोती गानों को सुनने में रुचि भी दिखा रहा है। दरअसल मोती को बहुत गुस्सा आता है। मोती के गुस्से का शिकार हथिनी लक्ष्मी हो चुकी है। मोती ने उसे जमीन पर पटक दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। लक्ष्मी के जाने के बाद मोती और हमलावर हो चुका है। मोती के गुस्से को शांत करने के लिए कई प्रयोग किए गए हैं। अभी उसके बाड़े में जेसीबी, ट्रैक्टर,ट्रक और बसों के टायरों को रखवाया गया है, जिससे वह खेलता रहता है। खेल में लगे रहने से उसका गुस्सा थोड़ा कम रहता है। मोती के लिए म्यूजिक सिस्टम के माध्यम से बांसुरी और अन्य प्रकार के वाद्य यंत्र की धुन को बजाया जा रहा है, ताकि हाथी मोती का दिमाग शांत किया जा सके।ज़ू के प्रभारी डॉ उत्तम यादव का कहना है कि म्यूजिक थैरेपी के हमेशा पॉज़िटिव रिजल्ट मिलते है। यही वजह है कि मोती के गुस्से को शांत करने के लिए अलग अलग कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि म्यूजिक थेरेपी के सकारात्मक परिणाम पौधे और गायों के साथ इलाज करवाने वाले मरीजों पर भी देखे जा चुके हैं।