करो या मरो की स्थिति में चयनित शिक्षक

Patrika 2020-08-19

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22 साल से कर रहे नियुक्ति का इंतजार
नियुक्ति आदेश जारी करने की कर रहे हैं मांग
अब फिर दी आंदोलन की चेतावनी
प्रदेश के तकरीबन 2 हजार से अधिक चयनित शिक्षक तकरीबन 22 साल से अपनी नियुक्ति की बाट जोह रहे हैं ,लेकिन उनका इंतजार पूरा होने का नाम नहीं ले रहा। ऐसे में इन चयनित शिक्षकों ने एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी दी है।आपको बता दे कि 1998 में जिला परिषद के माध्यम से प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया आरंभ की थी , जिसमें मेरिट के आधार पर शिक्षकों का चयन होना था। इस प्रक्रिया के तहत 10 फ़ीसदी गृह जिले और 5 फ़ीसदी ग्रामीण मूल निवास के बोनस अंक देने का प्रावधान था, जिसे लेकर कुछ अभ्यार्थी सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए कि राजस्थान के अभ्यर्थियों को जिले के आधार पर बोनस अंक दिया जाना असंवैधानिक है इसलिए बोनस संकट पर वरीयता सूची बनाई जाए, लेकिन फिर भी सरकार ने बोनस अंकों के साथ ही नियुक्ति दे दी। ऐसे में कम अंक वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल गई और अधिक अंक वाले वंचित रह गए ।
चार कमेटियां दो आदेश नियुक्ति नहीं

आपको बता दें कि परीक्षा में सफल रहे लेकिन नियुक्ति से वंचित चयनित अभ्यर्थियों ने बार बार आंदोलन और धरने दिए। इसके बाद उच्च वरीयता वाले अभ्यार्थियों के लिए सरकार ने वर्ष 2003 और 2006 में नियुक्ति आदेश जारी कर दिए नियुक्ति नहीं दी गई । सरकार ने 4 कमेटी गठित की लेकिन मामला जस की तस रहा। लंबे समय से नियुक्ति की मांग कर रहे इन चयनित शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट पर धरना भी दिया, तब शिक्षा मंत्री ने सरकारी अधिकारियों को भेज कर आश्वासन दिया कि नियुक्ति आदेश जल्द ही जारी कर दिया जाएगा लेकिन 7 माह गुजरने के बाद भी नियुक्ति नहीं मिली है।

विधानसभा में उच्च का मामला

आपको बता दें कि पूरा मामला विधानसभा में भी उठ चुका है तकरीबन 13 विधायकों ने इस प्रकरण पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया और मांग की कि इन वंचित चयनित शिक्षकों को नियुक्ति दी जानी चाहिए लेकिन इसके बाद भी अब तक कुछ नहीं हुआ है ।
अब आंदोलन की तैयारी में चयनित

शिक्षक सालों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे शिक्षकों ने अब एक बार फिर नियुक्ति आदेश जारी करने की मांग की है अखिल राजस्थान चयनित शिक्षक संघ 1998 के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप पालीवाल का कहना है कि यदि आप भी सरकार सुनवाई नहीं करती तो वह करो या मरो की नीति अपनाते हुए प्रदेश भर में आंदोलन करेंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी ।

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