बीते दिनों इंदौर में अंडे के ठेले पर जमकर राजनीतिक रोटियां सेंकने का मामला सामने आया था। एक ठेले पर राजनीति इस कदर हावी हुई कि निगम को अपनी कार्रवाई ही स्थगित करनी पड़ी थी। वही ठेले के पलटने की असलियत की जांच की जा रही थी, लेकिन अब निगमायुक्त ने निगम कर्मियों को क्लीन चिट दे दी है, वहीं जांच को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है। दरअसल कोरोना संक्रमण के मामले में इंदौर हॉटस्पॉट बना हुआ है। लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर नगर निगम ने शहर में संक्रमण का खतरा बढ़ाने वाले ठेला संचालकों और व्यापारियों के खिलाफ मुहिम शुरू की थी, लेकिन पिपलिहाना चौराहे पर एक अंडे का कथित ठेला पलटने के बाद निगम की कार्रवाई को गलत बताते हुए सभी राजनीतिक दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। ठेले के पलटने का असर ऐसा हुआ कि निगम ने अपनी कार्रवाई को ही स्थगित कर दिया क्योंकि अंडे का ठेला लगाने वाले बालक पारस रायकवार ने निगम कर्मियों पर ज्यादती करने का आरोप लगाते हुए उसका ठेला पलटाने की बात कही थी। इस मामले में निगम आयुक्त ने जांच का जिम्मा अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह को सौंपा था। निगमायुक्त प्रतिभा पाल के मुताबिक मामले में सामने आए नए वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर निगम कर्मियों द्वारा ठेला पलटाने का कोई भी साक्ष्य निगम के सामने नहीं आया, बल्कि बच्चे द्वारा भागने के फेर में अंडे फूटने की बात जरूर सामने आई थी। ऐसे में निगम कर्मियों को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। आयुक्त का कहना है कि निगम कर्मियों की गलती नहीं होने पर जांच का भी कोई औचित्य नहीं रह जाता है, इसलिए जांच को बंद किया जा चुका है।