जयपुर। महिला अधिकारिता विभाग वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर चलाने के लिए एनजीओ और संस्थाओं से कई बार टेंडर जारी कर प्रस्ताव मांग चुका है। लेकिन कई जिलों में एक साल बाद भी इन टेंडर में किसी ने रूचि नहीं जताई है। अब इस माह यानी जुलाई में एक बार फिर विभाग ने टेंडर के लिए नोटिस जारी किए हैं। यह वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर राज्य के सभी जिलों में चलाए जाने हैं। जयपुर में पहले से ही अपराजिता वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर जयपुरिया हॉस्पिटल में चलाया जा रहा है। यह केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश का पहला वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर है। अब राज्य के हर जिलें में ऐसे ही सेंटर चलाए जाने हैं, लेकिन ह्यूमन रिसार्स नहीं होने से ये सेंटर अब तक शुरू नहीं किए जा सके हैं।
निर्भया फंड से केंद्र देगा बजट
2012 में निर्भया केस के बाद 2013 के बजट में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक हजार करोड़ के निर्भया बजट की घोषण तत्तकाली केंद्र सरकार ने की थी। इसके तहत महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई सेंटर में एक वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर भी प्रस्तावित था। जो देशभर के जिलों में बनाए जाने थे। इसके पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह जयपुर में शुरू किया गया था। यह ऐसा सेंटर हैं, जहां किसी भी पीड़िता को चिकित्सकीय के साथ कानूनी व अन्य सेवाएं एक ही जगह निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। अब एक साल पहले राज्य के अन्य जिलों में जिला अस्पतालों के परिसर में इन सेंटर की शुरुआत की कवायद शुरू हुई।
इन जिलों में दोबारा मांगे प्रस्ताव
धौलपुर में पिछले साल जुलाई में ह्यूमन रिसोर्स के लिए विज्ञप्ति जारी कर जिला महिला अधिकारिता विभाग ने सेंटर चलाने के लिए संस्थाओं से प्रस्ताव मांगे थे। इस पर पांच लाख रुपए खर्च किए जाने थे। कोई प्रस्ताव नहीं मिलने से अब इस माह फिर प्रस्ताव मांगे गए हैं। इस बार 8 लाख रुपए के प्रस्ताव मांगे गए हैं। वहीं भरतपुर जिले के लिए भी एक साल में दूसरी बार प्रस्ताव के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है। वहीं नागौर, बाड़मेर, करौली, सीकर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, चित्तौड़गढ़, श्री गंगानगर, बूंदी, झुंझुनूं, टोंक, अलवर, सीकर, दौसा, बीकानेर, उदयपुर सहित सभी जिलों में इन सेंटर के संचालन की कवायद जारी है। जिला अस्पतालों में यह सेंटर शुरू करने का उद्देश्य यही है कि किसी भी हिंसा से पीड़ित महिला को सबसे पहले चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाई जा सकें।