1962 India-China War: 1962 का वो Brigadier जिसके ब्रिगेड ने Arunachal को बचाया | वनइंडिया हिंदी

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John Parashuram Dalvi who commanded the ill-fated 7 Infantry Brigade on the Namkha chu (river) in the West Kameng Frontier Division of the North East Frontier Agency (NEFA) in October 1962. When Brigadier John Dalvi returned to India on May 4, 1963, he and his 26 junior colleagues were interrogated like criminals, the government suspecting them to have been brain-washed by the Communist Chinese.

लद्दाख में LAC पर भारत ने चीन को फिर से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. क्योंकि ये 2020 का भारत है. लेकिन एक 1962 का भारत था. जो आजादी के बाद भारत के लिए सबसे शर्मिंदगी भरा समय रहा. आज और उस समय में अंतर यही है कि आज भारतीय सेना जहां हर परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. जबकि उस समय तैयारी का आलम क्या रहा होगा इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तब सेना के जवानों के पास अच्छे हथियार तो छोड़िए ठंढ में लड़ने वाले मोटे कपड़े भी नहीं थे, जूते भी नहीं थे. कहा जाता है कि भारतीय सेना को जितना नुकसान दुश्मनों ने नहीं किया उससे ज्यादा नुकसान ठंढ से हुई थी. पूर्व ब्रिगेडियर जेपी डाल्वी की किताब ‘हिमालयन ब्लंडर’ में उस वक्त के स्थिति की जानकारी मिलती है। डाल्वी ने ये किताब तब लिखी थी जब वो सात महीने तक चीनी कैद में युद्धबंदी के तौर पर रहे थे।

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