देशभर में जहां कोरोना वायरस संक्रमण महामारी का खतरा अब भी जारी है, वहीं संपूर्ण उज्जैन जिले में शाम 6 से सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन का सिलसिला भी चल रहा है। वहीं शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी करने वाले बिछड़ौद के कन्हैयालाल मंडलोई अपनी पत्नी सिताबाई और दोनों पुत्र भोला, ओमप्रकाश, बहु भूरीबाई और तिन बच्चों के साथ ढ़ाई बिघा जमीन पर झोपड़ी बनाकर रहने के साथ परिवार का पालन- पोषण करने लगे। कन्हैयालाल ने पत्रिका से हुई खास बातचीत में बताया की गांव से शहरी और दूर- दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर परिवार का पालन- पोषण के लिए मजदूरी किया करते थे। लेकिन तीन माह से अधिक लगे लाॅकडाउन से जिना मुश्किल भरा हो गया है। परिवार के सदस्यों का पालन- पोषण करने के लिए भी मजबूर हो गए है। बड़े कास्तकार लोगों के यहां भी मजदूरी नही मिल रही थी, जिस कारण दिन ब दिन आर्थिक तंगी सताने लगी थी, जिसके अंतर्गत पिछले कई सालों से बंजर पड़ी ढ़ाई बिघा जमीन पर खेती करना शुरू कर दिया। इसी साल शुरू की खेती में गोलकी, भिंडी, चंवला, टेमसी, आल, करेला सहित अन्य सब्जियां चोपी गई है, इन्हे बेचकर ही अपने परिवार का पालन- पोषण कर सकें। साथ ही गांव में जहां छोटी- बड़ी मजदूरी मिल जाती है वह करके परिवार का पालन- पोषण करने लगे हैं। कन्हैयालाल ने कहा कि शासन की और से भी किसी प्रकार की मदद नही मिल रही है। कई बार पंचायत में जाकर प्रधानमंत्री आवास और इंदिरा आवास के लिए कागज दिये है लेकिन अब तक शासन की किसी प्रकार की योजनाओं का लाभ नही मिला है।