मुजफ्फरनगर के बाज़ारो और चौराहो पर भीख मांगता बचपन, आखिर जिम्मेदार कौन?

Bulletin 2020-06-30

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मुजफ्फरनगर- आजकल भीख मांगना एक धंधा बन चुका है यह काम गंदा तो है पर धंधा है, शायद भारत ही एक ऐसा देश है, जहां मासूम बचपन सड़कों पर भीख मांगने और भटकने पर मजबूर है। फिर भी इस पर कैसे यकीन न किया जाए कि यह बचपन बड़ा होकर अपराधी और नशेड़ी नहीं बनेगा भले ही सरकार व प्रशासन इस और कई योजनाएं चला रहे है। सर्व शिक्षा अभियान फ्री शिक्षा मिड डे मील, ड्रेस,किताबें सरकार हर वो बुनियादी चीजें स्कूलों में मुहैय्या करा रही है, फिर ऐसी क्या बात बच्चे भीख, बालश्रम, या फिर बच्चों के माता पिता बच्चों को स्कूलों में भेजने के बजाए उनसे काम करा रहे हैं। बच्चे भीख मांगने पर मजबूर हैं। इस तरह के मामले बाज़ारों और चौराहों पर रोज़ देखने को मिलते हैं। जो कि बालश्रम और भीख देकर इसको बढ़ावा दिए हैं। अक्सर दुकानों पर सड़कों ओर घरों में मजदूरी करते दिखते है, यह मासूम बच्चे लेकिन प्रशासन यह सब देखते हुए भी आँख बंद किये हुए। इसके लिए प्रशासन के अलावा कहीं न कहीं हम भी पूरी तरह जिम्मेदार है, परंतु कोई भी अपनी जिम्मेदारी समझने के लिए तैयार नहीं समय की जरूरत है कि भीख मांगने के इस मामले को बाल मजदूरी से भी पहले उठाया जाना चाहिए। मुजफ्फरनगर शहर में दर्जन भर से अधिक बच्चे भी भीख मांग रहे हैं।

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