देश में कोरोना के 4.25 लाख संक्रमितों, तेरह हजार सात सौ से ज्यादा मौतों से हालात भविष्य में और भयावह होने की चुगली खा रहे हैं। अनलॉक -1 में सरकार की छूट के बाद अस्पतालों में सख्ती के बजाय इलाज में अव्यवस्थाओं का दर्द हावी होने लगा है। जयपुर के ब्रह्मपुरी निवासी सूरज जब कहते हैं कि मेरे पिता को कोरोना ने नहीं, लापरवाही ने मारा है तो इस अंतहीन पीड़ा में सूरज के स्वर नहीं बल्कि उन सैंकड़ो लोगों का भी दर्द छिपा है जो अस्पतालों में ऐसा दुख दर्द झेलने को मजबूर हैं। पेश है राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार हरीश मलिक की कलम से...मंथन...शर्मनाक हैं मौतें ! मरहम की दरकार
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