कोरोना महामारी की वजह से राज्य के अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया है। ज्यादातर शहरों के अस्पताल क्वारंटीन सेंटर में तब्दील हो चुके हैं। राजधानी जयपुर के सरकारी अस्पतालों की राह गर्भवती महिलाओं के लिए मुश्किल हो चली है।
जयपुर में सांगानेरी गेट पर स्थित महिला चिकित्सालय को कोरोना वार्ड में तब्दील किया गया है। यहां सिर्फ एक महिला चिकित्सक की ड्यूटी आउटडोर में गर्भवती महिलाओं के चेकअप के लिए लगाई गई है। लेकिन यहां हर दिन आउटडोर में 100 से 150 महिलाओं की लाइन लगती है। अस्पताल का आउटडोर का समय खत्म होने तक भी सभी महिलाओं का चेकअप नहीं हो पाता। बिना पर्ची, उन्हें निशुल्क जरूरी दवाइयां भी नहीं मिल पाती। इस कारण अब आउटडोर में गर्भवती महिलाओं का आना कम हो गया है। दूसरी ओर यहां नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर की ओर से गर्भवती महिलाओं से कहा जा रहा है कि वे इमरजेंसी के समय ही अस्पताल आएं। इससे रेगुलर चेकअप और निशुल्क दवाइयां लेने में महिलाओं को परेशानी का सामना झेलना पड़ रहा है।
जनाना में लम्बी कतारें
वहीं महिलाओं को डिलीवरी से पहले के जो प्री टेस्ट की जरूरत है, उनसे भी महिलाएं वंचित हो रही हैं। या फिर इसके लिए जनाना अस्पताल के आउटडोर और फिर टेस्ट की लम्बी कतारों में खड़ा होना पड़ता है। जो महिलाएं इन सरकारी अस्पतालों पर ही निर्भर उनके लिए यह कोरोना टाइम किसी मुश्किल से कम नहीं। प्राइवेट अस्पतालों में डिलीवरी या जांच के लिए खर्च वहन करना अधिकतर महिलाओं के परिजनों के लिए मुश्किल है।
इनका कहना है
प्रेग्नेंसी का सातवां महीना है। तीन महीनों से कोरोना की वजह से अस्पताल नहीं गई। एक दिन लगा बच्चा घूम नहीं रहा तो सांगानेरी गेट स्थित चिकित्सालय गए। वहां आउटडोर में लम्बी कतारों में खड़े रहने के बाद भी नंबर नहीं आया। वहां एक ही डॉक्टर ड्यूटी पर थे। हमें वहां से लौटकर, प्राइवेट सोनोग्राफी करवाकर, सोनोलॉजिस्ट से ही पूछना पड़ा कि सब ठीक है ना?
नीलोफर, घाटगेट निवासी
चार नंबर डिस्पेंसरी का कार्ड बना हुआ है। वहीं डिलीवरी करवाने का सोचा था। जब इमरजेंसी के टाइम गए तो उन्होंने जनाना अस्पताल रेफर कर दिया, जो घर से 12 किमी दूर है। अब नजदीकी अस्पताल में डिलीवरी भी मुश्किल हो गई है।
सबा खान, सोडाला निवासी