पत्रकार की कलम क्या कह रही है खतरनाक हथियारों से, देखिये कार्टूनिस्ट सुधाकर के नजरिये से

Patrika 2020-05-30

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खींचो न कमानों को, न तलवार निकालो, जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो. अकबर इलाहाबादी का यह शेर पत्रकारिता पर बिल्कुल सटीक बैठता है. पत्रकारिता लोगों तक सच्चाई पहुंचाने और विभिन्न मुद्दों को लेकर उन्हें जागरूक करने का सशक्त माध्यम है. देश की आजादी की लड़ाई में भी पत्रकारों ने अहम भूमिका निभाई. आजादी की अलख जगाने में उस समय कई अखबारों ने संदेशवाहक का काम किया. यही वजह है कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. लोकतंत्र में पत्रकार की कलम तोप बंदूक या तलवार से भी बड़ा हथियार सिद्ध होती है. भारत जैसे लोग बड़े लोकतांत्रिक देश में तो पत्रकारों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है सरकारों की कमियों और खूबियों को निष्पक्ष तरीके से जनता तक पहुंचाना ही पत्रकारों की जिम्मेदारी है जिसे उनको शिद्दत से निभाना चाहिए. हिंदी पत्रकारिता दिवस पर पत्रकारिता को समर्पित यह कार्टून देखिए.

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