लद्दाख सीमा को लेकर चीन और भारत के बीच चल रहे तनाव पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता की पेशकश की है, जिसे भारत ने ठुकरा दिया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस मुद्दे पर भारत को किसी मध्यस्था की जरूरत नहीं है। इसका शांतिपूर्ण ढंग से समाधान करने के लिए चीनी पक्ष के साथ बातचीत चल रही है। हमारे सैनिकों ने सीमा प्रबंधन के प्रति बहुत जिम्मेदार रुख अपनाया है। समस्या के समाधान के लिए चीन के साथ द्विपक्षीय समझौते में दी गई प्रक्रियाओं का भारतीय सैनिक सख्ती से पालन कर रहे हैं। मंत्रालय ने बताया, भारत, चीन ने बातचीत के माध्यम से सीमा मुद्दों को हल करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तरों पर तंत्र स्थापित किए हैं। वहीं इस सीमा पर तैनात सशस्त्र बल दोनों देशों की सहमति और सीमा प्रबंधन में उनके द्वारा दिए गए दिशा निर्देश का गंभीरता के साथ पालन कर रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले दस दिनों से चीन लद्दाख की गलवान और पैंगोंग घाटी के साथ ही अन्य चौकियों पर बंकर बना रहा है। वहीं यहां पर चीन की सैन्य गतिविधियां भी बढ़ा दी गई है। चीन की इन हरकतों के बाद भारतीय सेना ने भी इस सीमा की चौकसी बढ़ा दी है। यहां सेना और सशस्त्र बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां लगाई गई हैं। इसके साथ ही वायु सेना की मदद से चीन की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। लद्दाख भारत और चीन के मध्य की ऐसी सीमा रही है, जिस पर दोनों देशों का कोई विवाद नहीं रहा है, लेकिन अब यहां पर दिनोंदिन चीनी सैनिकों की बढ़ती संख्या और बंकर बनाना, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा रहा है। कई चौकियों पर दोनों ओर के सैनिक आमने—सामने भी हुए।
इसी दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को मध्यस्थता की पेशकश की थी। ट्रंप इससे पहले कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच भी मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं। तब भी भारत ने इस मध्यस्थता से इंकार कर दिया था।
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट भी किया है कि हमने भारत के सामने चीन के साथ सीमा विवाद पर मध्यस्थता कर विवाद शांत कराने की पेशकश की थी। लेकिन भारत ने इसमें कोई रूचि नहीं दिखाई।