लॉकडाउन के बीच घर पहुंचने की बेताबी

Patrika 2020-05-13

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सरकार की अपील और लॉकडाउन की तमाम सख्ती के बावजूद मजदूरों का पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा। साइकिल पर सवार हजारों मजदूर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे शहरों से बिहार के लिये निकल पड़े हैं। सुनसान सड़कों पर मजदूरों का रेला नजर आ रहा है। इन मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से रोजगार छिन चुका है और सरकारी मदद उन तक पहुंच नहीं रही है। इसलिए वह लोग खुद ही किसी तरह अपनी जान बचाकर साइकिल से बिहार के लिए निकल पड़े हैं।

वीओ- लॉकडाउन के बीच घर पहुंचने की बेताबी, पैदल नहीं अब साइकिल की सवारी। सरकार की अपील और तमाम सख्ती के बावजूद परेशान मजदूर लगातार पलायन कर रहे हैं। बाराबंकी के मोहम्मदपुर खाला पर पहुंचे साइकिल पर सवार हजारों मजदूर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे शहरों से बिहार जा रहे हैं। लॉकडाउन के बीच मजदूरों का पलायन लोगों और सरकारों के लिए बड़ी समस्या का विषय भी बनता जा रहा है। हालांकि जो मजदूर हैं उनकी अपनी समस्याएं भी हैं। उनका कहना है कि न तो उन्हें रोजी-रोटी मिल रही है और न ही कोई सरकारी मदद। ऐसे में वह अपना घर कैसे चलाएं, इसका भी कोई रास्ता नहीं है। इनका कहना है कि जब उनके पास कोई साधन नहीं बचा और पैदल जाना भी बहुत मुश्किल लगा, तो ऐसे में कुछ लोग अपनी-अपनी साइकिलों से अपने गांव के लिए निकल पड़े हैं।

वीओ- इन मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से उनका रोजी-रोजगार छिन चुका है और कोई भी सरकारी मदद उन तक पहुंच नहीं रही है। इनका कहना है कि खाने के लिए पैसा नहीं बचा, ऐसे में कब तक वह अपने घरों से पैसा मंगाकर खर्चा चलाएं। क्योंकि लॉकडाउन कबतक रहेगा अभी यह तय नहीं है। ऐसे में हम लोग कब तक वहां फंसे रहते और अपनी जान मुसीबत में डालते। इनका कहना है कि सरकार ट्रेन चलाने और खाना देने का दावा तो कर रही है, लेकिन ये सब सुविधा कहां है, इसका कुछ पता नहीं।

वीओ- ये मजदूर हरियाणा से छह दिन का सफर करने के बाद बाराबंकी पहुंचे, हालांकि मंजिल अभी काफी दूर है और रास्ता मुश्किल। लेकिन तमाम मुसीबतों के बाद भी इन मजदूरों का हौसला कम नहीं हुआ है और यह किसी भी कीमत पर अपने घर पहुंचने की ठान चुके हैं।

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