ट्रेन चलने के बाद भी परेशान मजदूर, रजिस्ट्रेशन, टिकट और मेडिकल का सिरदर्द | Quitn Hindi

Quint Hindi 2020-05-05

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केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक कसमें खाती हैं कि वो मजदूरों और गरीबों की खैरख्वाह हैं. लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के लिए रोज नए ऐलान होते हैं. कभी खाते में पैसे, कभी खाना देंगे, फिर ट्रेन चलाने का ऐलान, फिर मुफ्त यात्रा की बात लेकिन जमीनी सच्चाई ये है कि मजदूर आज भी परेशान हैं. ट्रेनों में एक अदद सीट के लिएं जंग लड़नी पड़ रही है. रजिस्ट्रेशन, मेडिकल, टिकट. बसों से सफर करने वालों की भी मुसीबतें हैं. नतीजा ये है कि कहीं-कहीं मजदूरों के बेबसी गुस्सा बनकर फूट रही है.

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