आज के दौर में हर व्यक्ति आर्थिक, मानसिक और शारीरिक संकट से गुजर रहा है। यह संकट व्यक्ति को तरह-तरह की परेशानियां दे रहा है। हनुमान चालीसा के मंत्र कैसे ब्यक्ति को इन मुश्किलों से बाहर निकल सकते हैं और सफलता की राह दिखा सकते हैं, जानिये इस वीडियो में।
आध्यात्मिक बल देती है हनुमान चालीसा।
कहते हैं कि आध्यात्मिक बल से ही आत्मिक बल प्राप्त होता है। और आत्मिक बल से ही हम शारीरिक बल प्राप्त करके हर तरह के रोग से लड़कर उस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन और मस्तिष्क में आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है। हनुमान जी को बल, बुद्धि और विद्या के दाता कहा जाता है। इसलिए हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करना आपकी स्मरण शक्ति और बुद्धि में वृद्धि करता है। साथ ही आत्मिक बल भी मिलता है।
मनोबल बढ़ाती है हनुमान चालीसा।
नित्य हनुमान चालीसा पढ़ने से पवित्रता की भावना का विकास होता है। हमारा मनोबल बढ़ता है। मनोबल ऊंचा रहेगा तो सभी संकटों से निजात मिलेगी। हनुमान चालीसा की एक पंक्ति हैं- अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, असवर दिन जानकी माता।
अकारण भय व तनाव मिटता।
हनुमान चालीसा में एक पंक्ति है- भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे। एक अन्य पंक्ति है - सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना। यह चौपाई मन में अकारण उत्पन्न भय को समाप्त कर देती है। हनुमान चालीसा का पाठ आपको भय और तनाव से छुटकारा दिलाने में बेहद कारगर है।
हर तरह का रोग मिटता।
हनुमान चालीसा में एक पंक्ति है। नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा। एक अन्य पंक्ति है - बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार। अर्थात किसी भी प्रकार का रोग हो, आप बस श्रद्धापूर्वक हनुमानजी का जाप करते रहे। हनुमान जी आपकी पीड़ा हर लेंगे। कैसे भी कलेस हो अर्थात कष्ट हो, वह समाप्त हो जाएगा। श्रद्धा और विश्वास की ताकत होती है। मतलब यह कि दवा के साथ दुआ भी करें। हनुमान जी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी।
हर तरह का संकट मिटता।
आप पर किसी भी प्रकार का शारीरिक संकट या मानसिक संकट आया हो। या प्राणों पर यदि संकट आ गया हो तो यह पंक्ति पढ़ें। संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा। या संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै। यह आपके भीतर नए सिरे से आशा का संचार कर देगी।
बंधन मुक्ति का उपाय।
कहते हैं कि यदि आप नित्य सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। तो हर तरह के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। वह बंधन भले ही किसी रोग का हो या किसी शोक का हो। हनुमान चालीसा में ही लिखा है- जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बन्दि महा सुख होई। यानि सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करने वाला हर प्रकार के बंधनों से मुक्त होकर महासुख को प्राप्त करता है।
नकारात्माक प्रभाव होते हैं दूर।
मान्यता के अनुसार निरंतर हनुमान चालीसा पढ़ने से हमारे घर, मन और शरीर से नकारात्मक ऊर्जा मिट जाती है। निरोगी और निश्चिंत रहने के लिए जीवन में सकारात्मकता की जरूरत होती है। सकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति को दीर्घजीवी बनाती है।
ग्रहों के बुरे प्रभाव समाप्त होते हैं।
ज्योतिषियों के अनुसार प्रत्येक ग्रह का शरीर पर भिन्न-भिन्न असर होता है। जब उसका बुरा असर होता है तो उस ग्रह से संबंधित रोग होते हैं। जैसे सूर्य के कारण धड़कन का कम-ज्यादा होना, शरीर का अकड़ जाना, शनि के कारण फेफड़े का सिकुड़ना, सांस लेने में तकलीफ होना। चंद्र के कारण मनसिक रोग आदि। इसी तरह सभी ग्रहों से रोग उत्पन्न होते हैं।